श्री चिंतामणि पार्श्वजी रे..

(राग : पहेले भवे एक गामनो रे…)

श्री चिंतामणि पार्श्वजी रे, द्यो दरिसण महाराज;
सुरतरुनी परे शोभता रे रे अापो अविचल राज रे,
प्रभुजी! द्यो दरिसण महाराज! …प्रभुजी0 ।।1।।
कुमारपणे करुणा करीने, उगार्यो बलतो नाग;
जो सेवकने विसारशो तो, पछी अपजशनो लाग रे… प्रभुजी0 ।।2।।
वामा उर सर हंसलो रे, अश्वसेन कुलचंद;
शिवरमणी वरिया प्रभु रे, भोगवे परमानंद रे… प्रभुजी0 ।।3।।
धन्य जीवन जग तेहनुं रे, अहोनिश सेवे पाय;
भक्ति भली परे साचवे रे, अाण वहे जे सदाय रे… प्रभुजी0 ।।4।।
भव अटवी भमतां थकां रे, दीठो प्रभु देदार;
जिन उत्तम देखी हुअो रे, ‘पद्मने’ हर्ष अपार रे… प्रभुजी0 ।।5।।

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