सुखदाई रे सुखदाई…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : मालकौंस-मारा नाथनी बधाई…/मैया! मोरी मैं नहीं…/वैष्णव जन तो…)
सुखदाई रे सुखदाई, दादो पासजी सुखदाई,
एेसो साहिब नहि कोउ जगमें, सेवा कीजे दिल लाइ… दादो0।।1।।
सब सुखदायक एहि ज नायक, एहि सहायक सुसहाई;
किंकरकुं करे शंकर सरिखो, अापे अपनी ठकुराई… दादो0।।2।।
मंगल रंग वधे प्रभु ध्याने, पाप वेली जाए करमाई;
शीतलता प्रगटे घट अंतर, मिटे मोह की गरमाई… दादो0।।3।।
कहा करुं सुरतरु चिंतामणिकुं, जो में प्रभु सेवा पाई;
‘जसविजय’ कहे दर्शन देख्यो, घर अांगण नवनिधि अाई… दादो0।।4।।
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