तारा नयनां रे प्याला प्रेमनां भर्या छे…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stavan
(राग : हेले चढ्यां रे हैया…/झगमगता तारलानुं…)
तारा नयनां रे प्याला प्रेमनां भर्या छे, दया रसनां भर्या छे,
अमी छांटनां भर्या छे……. तारा नयनां रे प्याला0… तारा0।।1।।
जे कोई तारी नजरे चढी अावे, कारज तेना तें सफल कर्या छे.. तारा0।।2।।
प्रगट थई पातालथी प्रभु तें, जादवना दु:खो दूर कर्या छे.. तारा0।।3।।
पन्नगपति पावकथी उगार्यो, जन्म-मरण भय तेहनां हर्या छे.. तारा0।।4।।
पतित पावन शरणागत वत्सल, दरिशन दीठे मारा चित्तडां ठर्यां छे.. तारा0।।5।।
श्री शंखेश्वर पार्श्व जिनेश्वर, तुज पद पंकज अाजथी धर्या छे.. तारा0।।6।।
जे कोई तुजने ध्याने ध्यावे, ‘अमृत’ सुख तेने रंगथी वर्या छे.. तारा0।।7।।
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