वामानंदन जगदानंदन…

(राग : मेरो प्रभु पारसनाथ अाधार…/वैष्णवजन तो तेने…/मैली चादर अोढके…)

वामानंदन जगदानंदन, सेवक जन अाशा विसराम;
नेक नजर करी मोही पर निरखो, तुम हो करुणा रस के धाम… वा0।।1।।
इतनी भूमि प्रभु! तुम ही अाण्यो, परि परि बहुत बढाई माम;
अब दु-चार गुणठाण बढावत, लागत है कहां तुमकुं दाम… वा0।।2।।
अहनिशी ध्यान धरुं हुं तेरो, मुखथी न विसारुं तुम नाम;
श्री नयविजय विबुध वर ‘सेवक’, कहे तुम मेरे अातमराम… वा0।।3।।

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