जय पास स्वामी मुगतिगामी…
Post by: arihant in Shri Parshwanath Stuti
जय पास स्वामी मुगतिगामी, ध्रुव अारामी तूं जयाे,
मिथ्यात्व वारक जगत तारक स्वयंभू शंभू तूं भयाे &
अश्वसेन नन्दन जगत वंदन, सजल जलद तनु भाेहरं,
जरा जादव जाेर वारी, जयाे पास शंखेश्वरं 01
प्रभु जगतवल्लभ पास अमीझर, गाेडी दाेडी ध्याईये,
चिन्तामणि सवि चूर चिन्ता, अवन्ती अन्तरीक गाईये &
निज नाम गुण वलि गाम नामे, सकल तीर्थ जिनेश्वरं,
भय भीड भंजन सजनरंजन, जयाे पार्श्व शंखेश्वरं 02
अटपटे झटपट लाेभ लंपट कपट काेट घटते गमे,
अकलंक अेक निःशंक अागम, परम जिनमत जाे रमे &
गणधार “सूरी राजेन्द्र” भाषे, “धनमुनि” महिमाकरं &
प्रकट पाटव सुघटकारी, जयाे पार्श्व शंखेश्वरं 03
Tags: Jain Stuti
Leave a comment