श्री पार्श्वनाथजिन स्तुति

(राग – वीर जिनेसर अति अलवेसर)

श्रीपासजिणेसर भुवन दिणेसर, शंखेश्वरपुर सोहे जी,
बावना चंदन घसी घणुं भावे, पूजता मन मोहे जी;
पुरिसादाणी वामाराणी, जायो ऐह जिणिंदो जी,
कमठ शठ हठ ऐह निवारी, नाग कीयो धरणीदी जी. १

ऋषभादिक चोवीशे जिनवर, भाव धरीने वंदो जी,
वर्तमान जिनमूर्ति देखी, हइडे होवे आणदो जी;
अढीद्वीपमां हुआ वळी होसे, जिनवर करुं प्रणाम जी,
कर्म क्षय करी मुगते पोहोंता, ध्याऊं तस जिन नाम जी. २

जिनवर वाणी अमीय समाणी, सकल गुणनी खाणी जी,
इग्यार अंग ने बार उपांग ज, गणधरदेवे गुंथाणी जी;
जे ते लोको सुणो रे भविका, हृदय उलट आणी जी,
भवोदधिनो पार उतरवा, नावा रुडी जाणी जी. ३

रजनीकरमुखी मृगलोचनी, श्रीदेवी पद्मावती जी,
उपद्रव हरती वांछित पूरती, पासतणा गुण गावती जी;
चउविह संघने रक्षाकरी, पाप तिमिरने कापे जी,
देव विजय कवि शीस तत्त्वने, वांछित तेह ज आपे जी. ४

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